एक प्रवृत्ति जिसने सिविल सेवा परीक्षा 2011 के साथ आये प्रारंभिक परीक्षा प्रारूप में परिदर्तन के बाद जोर पकड़ा है वह है हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का प्रारंभिक परीक्षा में नाटकीय रूप से गिरता प्रदर्शन.
प्रारंभिक परीक्षा का नया प्रारूप आये अब पांच वर्ष बीत चुके हैं और सिविल सेवा परीक्षा 2015 के अंतिम परिणाम पर एक नज़र डाले तो वहाँ हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के रचनात्मक परिणाम के बारे में लिखने को कुछ खास नहीं और हिंदी माध्यम उम्मीदवारों द्वारा औसत सा प्रदर्शन जारी है.
नवीनतम यू.पी.एस.सी. वार्षिक रिपोर्ट पर आधारित आंकड़े से प्रकट होता है कि सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा 2014 में भी हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व जारी है.
हाल ही में आये सिविल सेवा परीक्षा 2015 के परिणाम में, हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का निराशाजनक प्रदर्शन जारी है और हिन्दी माध्यम के साथ शीर्ष रैंक अनुराधा पाल (रेंक 62; सीएसई 2015) ने प्राप्त किया है.
पढ़ेंः सिविल सेवा परीक्षा 2015 में हिन्दी माध्यम के साथ उच्चतम रेंक
पिछले वर्षों में सामने आयी प्रवर्ति के आधार पर एक बार फिर से सभी संभावनाएँ ऐसा सुझा रही हैं कि हिंदी माध्यम के उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा में उच्च प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं.
इस वर्ष सिविल सेवा परीक्षा 2015 का परिणाम भी कोई अपवाद नहीं लगता है इसकी पुष्टि हमें थोड़े समय के बाद मिलेगी जब इस परीक्षा से संबंधित अधिकारिक आंकड़े उपलब्ध होंगे जिनमें परीक्षा के पहले चरण में हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के प्रदर्शन के बारे में सुराग मिलेगा.
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का एक बार फिर से सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा 2014 तक में प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा और सभी आशाओं के विपरीत संतोषजनक प्रदर्शन देने में विफल रहे हैं.
सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा 2014 में हिंदी माध्यम के साथ शामिल उम्मीदवारों की संख्या से यह स्पष्ट है.
निम्न तालिका में प्रस्तुत आंकड़ों से पिछले छह वर्षों में हिन्दी माध्यम के उम्मीदवारों की संख्या के संबंध में प्रवृत्ति सामने आई है.
जिस तरह से हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों ने सिविल सेवा परीक्षा 2010 से प्रारंभिक परीक्षा पर पकड़ खोनी शुरू की, 2011 में प्रारंभिक परीक्षा के नये प्रारूप आने के साथ भारी गिरावट देखने को मिली और आश्चर्य की बात है कि 2013 में मुख्य परीक्षा के पैटर्न में परिवर्तन का असर हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों पर अधिक पड़ा जहाँ सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा 2013 और 2014 में हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की संख्या पर गिरावट का दबाव देखा गया है.
पिछले वर्षों में हिंदी माध्यम के साथ उम्मीदवारों के द्वारा किसी भी आशाजनक तस्वीर का चित्रण नहीं है और मुख्य परीक्षा में हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व निराशाजनक दिख रहा है, अंग्रेजी माध्यम के उम्मीदवारों के पक्ष में एक झुकाव स्पष्ट रूप से सामने आया है.
सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा में हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व
सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा 2009 से ले कर 2012 तक परीक्षा में शामिल उम्मीदवारों की संख्या लगभग आसपास ही रही. सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा 2013 और 2014 में उम्मीदवारों की संख्या में भारी उछाल आया. लेकिन, सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा में हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की सीमित प्रतिनिधित्व इस तथ्य की पुष्टि करता है कि हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों में से अधिकाँश पहले चरण प्रारंभिक परीक्षा को पार कर पाने में असमर्थ रहे.
सिविल सेवा परीक्षा |
उम्मीदवारों की संख्या (सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र I में शामिल) |
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कुल |
परीक्षा लेखन का माध्यम |
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अंग्रेजी माध्यम |
हिन्दी माध्यम |
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मुख्य परीक्षा 2009 |
11504 |
6270 (54.5%) |
4861 (42.3%) |
मुख्य परीक्षा 2010 |
11859 |
7371 (62%) |
4194 (35.4%) |
प्रारंभिक परीक्षा के प्रारूप में परिवर्तन के बाद |
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मुख्य परीक्षा 2011 |
11230 |
9316 (83%) |
1700 (15.1%) |
मुख्य परीक्षा 2012 |
12176 |
9961 (81.8%) |
1976 (16.2%) |
मुख्य परीक्षा के प्रारूप में परिवर्तन के बाद |
|||
मुख्य परीक्षा 2013 |
14105 |
12287 (87.1%) |
1450 (10.3%) |
मुख्य परीक्षा 2014 |
16198 |
13733 (84.8%) |
2165 (13.4%) |
उपरोक्त सारणी पर एक सरसरी नज़र से स्पष्ट है कि इन वर्षों में अंग्रेजी माध्यम के उम्मीदवारों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हुई है और लगभग उसी अनुपात में हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की भागीदारी कम हुई है.
इसका क्या कारण हो सकता है?
हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का प्रदर्शन सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा 2010 में थोड़ा कम था; शायद, हिंदी माध्यम के कई उम्मीदवार यू.पी.एस.सी. की लगातार नवीन और बदलते रुख के लिए अनुकूल रवैया अपनाने में सक्षम नहीं रहे और संभवत: वे तैयारी के पारंपरिक तरीकों में परिवर्तन न ला सके जो परिणामों में स्पष्ट रूप से दर्शयः है.
लेकिन, यह सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा 2011 के बाद पूरी तरह से एक नया रुख उभरा जिसमें हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का भाग्य बदल गया; नतीजतन, अंग्रेजी माध्यम का प्रभुत्व सामने आया.
पिछले कुछ वर्षों में एक महत्वपूर्ण अवलोकन सामने आया है कि प्रारंभिक परीक्षा में आवेदकों की संख्या में वृद्धि के साथ, विशेष रूप से इंजीनियर, डॉक्टर और उच्च पेशेवर डिग्री के साथ उम्मीदवारों का 'सिविल सेवाओं' की ओर आकर्षण, प्रारंभिक परीक्षा में कई हिंदी मध्यम उम्मीदवारों के लिए एक प्रमुख बाधा साबित हुई है.
जितना मैं समझ पा रहा हूँ शायद हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों किसी और वजह से नहीं बल्कि कुछ बेहद प्रतिभाशाली उम्मीदवारों के द्वारा कठिनाईयों का सामने कर रहे है.
आज भी प्रारंभिक परीक्षा हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के लिए क्या एक प्रमुख बाधा साबित हो रही है?
आंकड़ो को देखें तो यह तो इस कथन की पुष्टि करते है. 2011 में सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा के पैटर्न में बदलाव ने हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के भाग्य को प्रभावित किया है और जैसा आंकड़े दर्शा रहे हैं, हिंदी माध्यम के उम्मीदवार केवल एक सीमित संख्या में पहली बाधा - प्रारंभिक परीक्षा को पार करने में सक्षम रहे.
प्रारंभिक परीक्षा 2011 में तो यह इसप्रकार के परिणाम को पचा पाने के कई कारण थे. चूंकि पैटर्न नया था, हिंदी माध्यम के कई उम्मीदवारों के लिए नई ज़रूरतों को समझने में मुश्किल रही और हिंदी माध्यम के कई उम्मीदवारों ने सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा 2011 में आये नये सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र द्वितीय के बारे आशंकाओं के कारण परीक्षा में शामिल होने की अपनी योजनाओं को टाल दिया था.
लेकिन, इसके बाद के वर्षों में प्रारंभिक परीक्षा में हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के परिणाम में इसी तरह की प्रवृत्ति इस बात की पुष्टि करता है कि शायद प्रतिस्पर्धा कड़ी हो जाने से हिंदी माध्यम के उम्मीदवार नई ज़रूरतों के अनुरूप ढ़ालने में सक्षम नहीं हो पाये और कठिनाई का दौर आज भी जारी है.
पिछले दो अवसरों पर यू.पी.एस.सी. ने कुछ परिवर्तन किये भी
पिछले कुछ समय से यह विवाद का विषय बन गया था कि प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र द्वितीय के कारण हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को काफी नुकसान हुआ है और इस पर सरकार की मध्यस्ता के साथ संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा 2014 में सामान्य अध्ययन पेपर द्वितीय अंग्रेजी बोद्धगम्यता से जुड़े प्रश्नों को छोड़ कट-ऑफ बनाई और सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा 2015 में सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र द्वितीय को क्वालीफाईंग बना दिया गया.
फिर भी, अगर हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों बड़ी संख्या में प्रारंभिक परीक्षा को पार करने में सक्षम नहीं हैं, तो निसंदेह यह चिंता का विषय है.
शीर्ष रेंकों पर हिन्दी माध्यम के उम्मीदवारों के कुछ उत्साहजनक परिणाम के साथ उम्मीद तो बनी; परन्तु, सिविल सेवा परीक्षा 2015 परिणाम अभी भी एक निराशाजनक तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं
हिन्दी माध्यम के उम्मीदवारों के लिये पिछले वर्षों के निराशाजनक परिणाम से जो मानसिक तनाव उत्पन्न हुआ है उससे उभर पाना आसान नही, फिर भटकाव भी बहुत है, जहाँ शायद हिंदी माध्यम के उम्मीदवार केवल कोचिंग संस्थानों पर ही पूर्णतः निर्भर होते जा रहे हैं और अपनी ओर से प्रयास नहीं डाल रहे हैं.
पिछले वर्षों में निश्चित रूप से वंदना (रैंक 8, सी.एस.ई. 2012), निशांत जैन (रैंक 13; सी.एस.ई. 2014) सहित शीर्ष 100 सफल उम्मीदवारों में कई हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की उपस्थिति दर्ज हुई और अब, अनुराधा पाल (रैंक 62; सीएसई 2015) और कई अन्य उम्मीदवारों के कारण हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का मनोबल बढ़ा है और आशा की किरण उन्हे तैयारी में जुटे रहने के सबल प्रदान कर रहा है.
लेकिन, हिन्दी माध्यम के उम्मीदवारों की मुख्य परीक्षा में घटती संख्या स्पष्ट रूप से बताती है कि हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को अभी बहुत कार्य करना है और किस तरह से प्रारंभिक परीक्षा के स्तर पर अपने प्रयास को जीवित रखना है यह सीखना अनिवार्य हो चला है.
इस संदर्भ में हिंदी माध्यम में मार्गदर्शन प्रदान करने कोचिंग संस्थानों की भूमिका और इनकी जवाबदेही के मसले को छू नहीं कर रहा हूँ जिन पर हाल के वर्षों में एक बड़ी संख्या में हिंदी माध्यम के उम्मीदवार निर्भर है
क्या आज भी हिंदी माध्यम के उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा को सफलता में बाधा के रूप में देखते हैं?
कम-से-कम मैं तो सी.एस.ई. 2015 के बारे में आशावादी था, लेकिन, यदि हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को अभी भी इससे प्रभावी ढंग से निपटने का रास्ता नही सूझ रहा तो यह सरासर गलत है.
हिन्दी माध्यम से सर्वोच्च स्थान प्राप्त अनुराधा पाल ने अपनी साधारण पृष्ठभूमि की वजह से कैरियर पथ पर कई उतार-चढ़ाव झेले पर फिर भी लक्ष्य से निगाह नहीं हटाई. एक के बाद एक प्रयास जारी रहे और अंततः वांच्छित सफलता प्राप्त करके ही छोड़ी.
इस बार हिन्दी माध्यम से तृतीय स्थान प्राप्त प्रेमसुख डेलू से प्रेरणा लें और उनके जीवन की कठिनाईयों को अपने साथ मिला कर देखने की कोशिश करें कि यदि वह सफल हो सकते हैं तो आर क्यों नहीं.
पिछले वर्षों में प्रारंभिक परीक्षा हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के लिए सफलता की संभावनाओं में बाधा रही या नहीं यह चर्चा का विषय रहा है; लेकिन, मुझे लगता है कि अब तो ऐसा कुछ नहीं जो हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को रोक सके. पहले भी हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के लिये सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र में अच्छा प्रदर्शन आम बात रही है. मुझे आशा है कि ज़रूरतों के अनुरूप वे स्पर्श पा लेंगे और प्रारंभिक 2016 में बेहतर परिणाम आने के उम्मीद की जा सकती है.
हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को प्रारंभिक परीक्षा के महत्व को स्वीकारना ही होगा और इस स्तर पर सफलता कितनी महत्वपूर्ण है यह भी समझना आवश्यक है.
इस संकट से बाहर कैसे आयें?
इसका कोई ऐसा समाधान तो है नहीं कि छड़ी धुमाई और सब बदल गया. परन्तु अभी भी मैं कह सकता हूँ कि सिविल सेवा परीक्षा हिंदी माध्यम भी उम्मीदवारों की पहुंच के भीतर है आवश्यकता है तो केवल भटकाव से बाहर आने की.
यह परीक्षा है जहाँ मानकों के अनुरूप आकांक्षी की क्षमता का परीक्षण किया जाता है और यह केवल आप हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को ही समझना है और अपने में, अपनी क्षमताओं में विश्वास हासिल करना है.
NCERT की पुस्तकों को कम से कम एक बार अवश्य पढ़ें जिससे विषय-वस्तु की अवधारणाओं पर आपकी पकड़ बनेगी. तैयारी के लिये मानक पाठ्य-पुस्तकों का उपयोग करें.
समाचार पत्र और पत्रिकाओं का इस परीक्षा की सटीक तैयारी में महत्व बहुत अधिक है और इनका नियमित अध्ययन आवश्यक है.
मैं महसूस करता हूँ कि पाठ्यक्रम के पारंपरिक हिस्सों की तैयारी एक बड़ी समस्या नहीं है, हाँ पाठ्यक्रम के उन भागों पर कार्य करना है जो गतिशील हैं और अपने ज्ञान और जागरूकता को अद्यतन करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है.
आज बाजार में कई टेस्ट-सीरीज़ उपलब्ध हैं जिनके द्वारा आर अपनी तैयारी का आंकलन कर सकते है.
मुख्य परीक्षा की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए शुरू से ही उत्तर-लेखन पर ध्यान दें.
बहुत सोच-समझ कर वैकल्पिक विषय का चुनाव करें. जो विषय अंग्रेजी माध्यम में लोकप्रिय हैं यह ज़रूरी नहीं कि हिन्दी माध्यम में भी उसी तरह का परिणाम दें. प्रत्येक विषय की अपनी ज़रूरते होती हैं और यदि आप विषय-विशेष को ले न्याय कर सकने की स्थिति में हैं तो ही वह विषय़ चुने न कि किसी के कहने में आ कर हाँ कर दें.
अभ्यास बहुत आवश्यक है और अभ्यास की अनदेखी वास्तव में परीक्षा भवन में आपको कठिनाईयाँ ला सकती है.
आपको अपनी ज़रूरतों के अनुरूप स्वयं कार्य करना है और आत्मविश्वास विकसित करना होगा और इस संकट से बाहर आने के लिये साहस दिखाना होगा.
यह एक लम्बी अवधि की परीक्षा प्रणाली है और इस दौरान कई दौर आयेंगे जब आप किन्ही कारणों से तनाव में आ सकते हैं जो आपकी तैयारी को प्रभावित कर सकता है. ऐसे में केवल सकारात्मक सोच आपको वापिस लक्ष्य की ओर ले आयेगी. कभी इसप्रकार की स्थितियाँ बनें तो अपने माता-पिता, परिवार के सदस्यों, मित्रोंं एवं शिक्षकों से साथ वार्तालाप करें ओर मनोबल बढ़ायें.
यह समय है अतीत से बाहर आ खेल के नये नियमों को समझने और उनके अनुरूप अपनी तैयारी को ढ़ालने का. परीक्षा के हर चरण में संबंधित आवश्यकताओं को समझें और एकाग्र मन से अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें.
हिन्दी माध्यम के उम्मीदवारों परीक्षा की तैयारी से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, तो आने वाले सिविल सेवा परीक्षा 2016 में निश्चित रूप से एक बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है.
Last Update Sunday 10th July 2016